सबके कल्याण का उपाय (कहानी) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु30-Mar-2024
दिनांक- 30,03,2024 दिवस- शनिवार विषय-सबके कल्याण का उपाय स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु
नरसिंहपुर गांँव में नदी के किनारे एक बहुत बड़े सिद्ध संत कुटिया बनाकर रहते थे। वो ब्रह्म मुहूर्त में उठते, गंगा स्नान करते और गंगा के किनारे बने मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना करते और इस तरह उनका पूरा दिन भगवत भक्ति में ही व्यतीत होता था।उन्हें देश, दुनिया की किसी भी बुराई से कोई भी सारोकार नहीं था।
एक दिन उस गांँव के प्रधान ने उन्हें अपने यहांँ सत्संग के लिए बुलाया। महात्मा प्रधान के यहाँ गये। द्वार पर सत्संग शुरू हुआ। पूरा द्वार लोगों से खचाखच भरा हुआ था। वो लोगों को सच्चे मनुष्य के धर्म और कर्तव्य के विषय में बता रहे थे। तभी भीड़ से एक व्यक्ति खड़ा हुआ और उसने पूछा, हे महात्मा! आप सभी के कल्याण का अत्यंत सरल उपाय बताइये।
उस व्यक्ति की बात को सुनकर महात्मा ने कहा, हे सज्जन मनुष्य! सबके कल्याण का सबसे सरल और अचूक उपाय है अपने जीभ पर नियंत्रण रखना। व्यक्ति महात्मा की बात को समझ नहीं पाया, उसने कहा हे दिव्य पुरुष! मैं आपकी बात को समझ नहीं पाया। कृपया आप इसे स्पष्ट करके बताइये।तब संत पुरुष ने कहा, हे सज्जन पुरुष! जीभ पर नियंत्रण रखने का तात्पर्य है कि हम किसी की भी निंदा न करें, कटु वचन न बोलें, असत्य न बोलें सदा सत्य का पालन करें और दूसरों को भी सत्य बोलने के लिए जागरूक करें।
फिर उन्होंने कहा, हे सज्जन पुरुष! यदि हम सदैव सत्य का पालन करें,मधुर वचन बोलें, भगवान का सदैव स्मरण करें, किसी भी तरह के छल प्रपंच में न पड़ें तो हम सबके कल्याण में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
इसके अतिरिक्त जीभ पर नियंत्रण रखने का अर्थ यह भी है कि हम सदैव सात्विक आहार ग्रहण करें। तामसी भोजन से सदैव परहेज़ करें। क्योंकि, कहा जाता है जैसा अन्न वैसा मन तो यदि हम तामसिक भोजन ग्रहण करते हैं तो हमारा आचार- विचार भी तामसी हो जाता है। हमारे व्यवहार में उग्रता आ जाती है। हम बात-बात पर क्रोध करने लगते हैं और जैसा कि सर्वविदित है कि क्रोध नाश का मूल होता है।
इसके अतिरिक्त आपकी जीभ आपके वायुमार्ग को खुला रखने में भी मदद करती है ताकि आप ठीक से सांँस ले सकें, अपने शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रख सकें
यदि हम सचमुच सभी का कल्याण करना चाहते हैं तो हमें अपने जीभ को न तो चटोरा बनाना चाहिए और न ही बुरी बातों में संलग्न करना चाहिए। क्योंकि, यदि हम कटु वचन बोलते हैं ,या किसी की निंदा करते हैं तो हमारे शत्रु पैदा होते हैं और हमारा समय लड़ाई-झगड़े में व्यतीत होने लगता है।
वहीं दूसरी तरफ़ यदि हम चटोरे हो जाते हैं तो हमारा स्वास्थ्य चौपट होता है और हम अनेकानेक प्रकार के रोगों के शिकार हो जाते हैं। महात्मा के मुख से इस तरह की बात को सुनकर भीड़ में खड़ा व्यक्ति उनके आगे नतमस्तक हो गया और उसने कहा, हे महात्मा! मुझे जीभ पर नियंत्रण रखने की बात बखूबी समझ में आ गई और अब मैं ख़ुद भी अपनी जीभ पर नियंत्रण रखूंँगा तथा अपने घर परिवार, आस- पड़ोस को भी समझाऊंँगा कि यदि आपको अपना ख़ुद का, परिवार का, गांँव- समाज का, राष्ट्र का कल्याण करना है, विकास करना है तो उसका मूल मंत्र है कि आप अपने जीभ पर नियंत्रण रखें।
साधना शाही वाराणसी
Babita patel
07-Apr-2024 11:33 AM
V nice
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Mohammed urooj khan
01-Apr-2024 02:38 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Varsha_Upadhyay
31-Mar-2024 11:06 PM
Nice
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